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Friday 18 November 2011

WOMEN IN ARMED FORCES BRIG MAHAJAN ARTICLE IN CHAUTHI DUNIYA

http://www.chauthiduniya.com/state-of-india/maharastra/author/brigadierhemantmahajan

भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिकासैन्यबल का शौर्य मुख्यतः बलवान पुरुष मनोवृति और शरीर से संबंधित ही माना जाता है, लेकिन दो बच्चों की मां भी इस शौर्य में पुरुषों की बराबरी कर रही है. यह कर दिखाया भारतीय सेना में प्रवेश पाने वाली 35 वर्षीय सॉपेर शांति टिग्गा ने. शारीरिक क्षमता परीक्षण में वह अपने पुरुष सहयोगियों की अपेक्षा अधिक सक्षम साबित हुई. भारतीय सेना में प्रथम महिला सैनिक होने का सम्मान 35 वर्षीय सॉपेर शांति टिग्गा ने हासिल किया है. हालांकि रेलवे सैन्य रेजीमेंट में महिलाओं के लिए प्रवेश की कोई बाधा नहीं थी, लेकिन उसमें अधिकारी स्तर पर ही महिलाओं की बहाली की जाती थी. नई व्यवस्था के बाद अब यह क्षेत्र भी महिलाओं के हिस्से में आया गया है और उसकी शुरुआत शांति टिग्गा ने किया है. दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी टिग्गा ने सैन्य रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट की परीक्षा उतीर्ण किया. अब तक सशस्त्र बलों में महिलाओं की नियुक्ति युद्ध में जाने वाले विभागों में ही की जाती थी, लेकिन टिग्गा ने अपनी कार्यक्षमता से 12 लाख जवानों की संख्या वाले सशस्त्र सुरक्षा बल में प्रथम महिला जवान होने का सम्मान पाया है. उन्होंने शिविर में उत्कृष्ट प्रशिक्षणार्थी का भी पुरस्कार मिला है.शिखा अवस्थी को स्वोर्ड ऑफ ऑनरभारतीय सेना में महिलाओं का पहली बार प्रवेश मेडिकल कोर के जरिए हुआ. सैन्य चिकित्सक महाविद्यालय से सेना बल में वर्ष 1968 में पुनीता अरोड़ा लेफ्टिनेंट जनरल और नौसेना में वाइस एडमिरल जैसे उच्च पद पर पहुंचने वाली प्रथम महिला अधिकारी थीं. भारतीय वायुसेना में भी महिलाओं का समावेश अधिकारी पद तक ही सीमित रहा. युद्ध भूमि पर भी महिलाओं की बहाली भारत में आज तक नहीं हुई थी.महिला पायलटस्नेहा शेखावत और उसकी सहयोगी तेजश्री पाटिल ये दोनों ही फ्लाइंग ऑफिसर्स पायलट हैं. ऊंची उड़ान भरने का उनका सपना पूरा हुआ है. यातायात के काम में आने वाले हेलीकाप्टर्स और हवाई जहाज चलाने वाली महिलाओं की संख्या कम है पर निडर महिलाओं का समूह इसका प्रतिनिधित्व करता है. तेजश्री के अनुसार जम्मू-कश्मीर या जहां अच्छी चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, ऐसी जगहों से जख्मी सैनिकों को वापस लाने का काम बहुत साहसिक, नैतिक और समाधान कारक है. वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में प्रसिद्ध हुई महिला फ्लाइंग ऑफिसर गुंजन सक्सेना का चेहरा आज भी सबके स्मरण में है. उसके चीता हेलीकॉप्टर ने दुश्मन की सीमा मे प्रवेश कर अपने घायल जवानांें को वापस लाने का साहसिक कार्य कर दिखाया था.कुछ अनुत्तरित सवालप्रत्यक्ष लड़ाई में महिलाओं की सहभागिता अभी तक अधूरा सपना ही रहा है. शारीरिक रूप से पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कमजोर होती हैं, लेकिन वे बौद्धिक और मानसिक रूप से युद्धक्षेत्र में सक्षम होती हैं. यद्यपि अनुशासन पालन सहयोगियों के साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने में भी वे पुरुषों की तुलना में ज्यादा सक्षम मानी जाती हैं. गौरतलब है कि भारतीय सेना में 90 प्रतिशत जवान पुरूष प्रधान सामाजिक व्यवस्था वाले ग्रामीण भाग से आते हैं. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुरूष प्रधान संस्कृति है. घर का चूल्हा और बच्चों को संभालना ही महिलाओं का कर्तव्य है. ऐसी उनकी मानसिकता है. यह मानसिकता एक रात में बदलने वाली नहीं है. आज केंद्रीय अर्ध सैनिक बल और सीमा सुरक्षा बल में कुल 11 हजार 412 महिलाएं हैं. यह आंकड़ा कुल सैनिकों का 1.5 प्रतिशत है. सेना में 4,101 महिलाएं है, लेकिन वे सहायक विभाग, सिग्नल व्यवस्था, तकनीकी विशेषज्ञ और बारूदगोला आदि की आपूर्ति तक सीमित हैं. भारतीय नौसेना में 252 महिलाएं हैं, लेकिन वहां भी उनकी जहाज़ या पनडुब्बी में बहाली नहीं की जाती है. वायुसेना में 872 महिलाएं कार्यरत हैं. यहां युद्धक्षेत्र को छोड़कऱ अन्य सभी विभागों में महिलाओं को शामिल किया जाता है. सेना में महिलाओं की इस तरक्की को मान लिया जाए, तब भी कुछ सवाल अभी भी अनुत्तरित ही हैं

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