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सोशल मीडिया के माध्यम से कश्मीर घाटी में आतंकवाद का प्रसार किस प्रकार किया जाता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला। तीन आतंकवादियों को मारने की सेना की कार्यवाही शुरू होते ही सोशल मीडिया के माध्यम से आसपास के सैकड़ो युवकों को भड़काया गया एवं वे पत्थरबाजी करने पहुंच गये। सेना ने पहले तो आंसू गैस फिर पॅलेट गन से उन्हें रोकने की कोशिश की, परंतु अंतत: सेना को गोली चलानी पड़ी जिसमें सात युवक मारे गये। तीनों आतंकवादी भी मारे गये। सोशल मीडिया के दुरूपयोग की यह एक बानगी है।
कश्मीर घाटी में आतंकवाद का रूप अब बदल रहा है। शिक्षा के प्रसार एवं छात्रवृत्ति योजना के कारण अधिकतर मध्यवर्गीय युवक अब शिक्षित हो रहे हैं। परंतु अच्छे नागरिक बनने की अपेक्षा वे सोशल मीडिया का उपयोग कर आतंकवाद का रूख कर रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने आतंकवाद का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया में व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्वीटर, स्नॅपचॅट इस प्रकार करीब बीस माध्यम हैं जिनका सदुपयोग या दुरूपयोग किया जा सकता है। भारतीय सेना की आतंकवाद विरोधी मुहिम पर लगाम कसने हेतु इनका भरपूर उपयोग किया जा रहा है।
फेक न्यूज
फेक न्यूज, गलत समाचार, बनावटी फोटो सोशल मीडिया में फैलाकर जनता एवं युवकों को भ्रमित किया जा रहा है। घाटी की जनसंख्या का 70%, 35 वर्ष की आयुमर्यादा के अंदर का है। वे बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया का दुरूपयोग अब इतना बढ़ गया है कि सरकार को उन पर प्रतिबंध लगाने पड़ रहे हैं जिसका ये लोग अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का हनन करार देते हैं। अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस पर नियंत्रण कैसे किया जाये। सोशल मीडिया पर आनेवाले मेसेज अधिकतर बाहर के देश से आते हैं इसलिये गलत समाचार कौन भेज रहा हैं इसकी पहचान नहीं हो पाती।
अनेक कश्मीरी युवक किसी भी हिंसक आंदोलन की घटना का सोशल मीडिया के माध्यम से लाईव प्रसारण करते हैं। लोगों को सेना पर पत्थर फेंकने के लिये उकसाया जाता है। इसलिये जब सेना आतंकवादियों की खोज शुरू करती है तो सैकड़ों युवक एकत्रित होकर सेना पर पत्थर फेंकना प्रारंभ करते हैं। सेना को दो मोर्चां पर संघर्ष करना पड़ता है। आतंकवादी संगठनों में भर्ती हेतु युवकों को व्हाट्स एप के माध्यम से प्रेरित किया जाता है।
सोशल मीडिया के माध्यम से सेना के विरूध्द दुष्प्रचार
सोशल मीडिया के माध्यम से रक्षा मंत्रालय एवं रक्षा मुख्यालय की कुछ शाखाओं के लेटरपॅड का उपयोग कर सेना के विरूध्द दुष्प्रचार किया जा रहा है। सीमा पार से यह कार्य हो रहा है, यह संशय सेना का भी है। इस दुष्प्रचार को सही मानकर सेना के संबध में जानकारी का गलत उपयोग ना करने का आग्रह सेना के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से किया है।
इस प्रकार की सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी के आधार पर किसी भी प्रकार की जानकारी या लेख लिखने के पहले उसकी सत्यता की जांच रक्षा मुख्यालय से करने का आग्रह किया गया है। इस प्रकार की गलत जानकारी के माध्यम से हमारी सेना को अड़चन में डालने का प्रयोजन तो नहीं है, इसकी निश्चिति करने के बाद ही कुछ लिखना श्रेयस्कर होगा।
सोशल मीडिया पर निगरानी रखना आवश्यक
सोशल मीडिया पर निगरानी अत्यंत आवश्यक है। सरकार ने इस पर अनेक नियम लागू किये हैं फिर भी अन्य देशों से हम क्या कुछ सीख सकते हैं इसका विचार करना भी जरूरी है। चीन ने सोशल मीडिया पर अनेक प्रतिबंध लगाये हैं, जो सोशल मीडिया चीन में कार्यरत हैं उन्हें अपना सर्वर चीन मे रखना होता है। ऐसा ही कदम भारत को भी उठाना चाहिये। कोई भी गलत बात या अफवाह यदि फैलाई जा रही है तो उसे ब्लॉक किया जाना चाहिये। पुलिस में इसके लिए प्रशिक्षित लोगों का विशेष विभाग होना चाहिये। सोशल मीडिया का उपयोग एकात्मता एवं बंधुभाव बढ़ाने हेतु होना चाहिये।
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