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Friday 15 July 2011

ऐ भारत अब कौन करे रक्शा तेरि Mohan Kotwal

ऐ भारत अब कौन करे रक्शा तेरि
है नसिब मे तेरे राज्य परदेसि नागरिको का
और है नसिब मे कम् जोर भारतियो कि
कम्जोर नीति और कम्जोर नज रिया
कौन कहा से आइ औरत बनी
इस देश कि खुद गर्ज रानी
और औलाद उसकी बनी
त्याग और सेवा कि सूरत
क्या व्यर्थ गया बलिदान उन
वीरो और देश प्रेमिओ का
और आज रो रहे होन्गे
वो जिन्होने किया प्राणॊ का
बलिदान अपने तेरे लिये
कहा है आज वन्शज उस
अर्जुन और अभिमन्यु के
और है कहा आज वीर शिवाजी
और सेना मावलो के उसकि
आज दिख रहि है केवल
औलाद देश द्रोहिओ कि और स्वार्थी लोगो की
अरे क्यो नहि खौलता खून
आज वीर जवानो का
और आज क्यो नही दिखती
बेटिया रानी झासिकी
क्या बन्द कर दिया माओने अब
पैदा कर ना वीरो को अब
कब होगा सुर्योदय उस
तुम्हे तारने वाले दिन का
और अन्त कब होगा इस
बेशरम नापाक जनो का


दादा बाबा आबा l तुम्ही का थंडोबा l
हा खेळ खंडोबा l कुठवरी ll
बांधली आघाडी l तरी टोळधाडी l
कातडी हो जाडी l सत्तेमुळे ll
सत्तेमध्ये खोट l म्हणून हे स्फोट l
अंगावरी कोट l मळेचिना ll
खाकी वर्दी मिळे l लाख लाख गिळे l
रक्त भळभळे l निष्पापांचे ll
खुली मुंबापुरी l वडा पाणीपुरी l
कांदापोहे वरी l खाऊ घाला ll
तुरुंगी कसाब l चापतो कबाब l
किरकोळ बाब l बॉम्बस्फोट ll
दादा आवरेना l आबा सावरेना l
बाबा बावरेना l कशानेही ll
कसे जगायाचे l कसे तगायाचे l
आता बघायाचे l कुणाकडे ll
तुम्ही केली पूजा l परी भाव दुजा l
आमचीही सजा l संपे कधी ll
नासली ही गंगा l तुझी पांडुरंगा l
शब्दांचा ही दंगा l व्यर्थ आहे ll

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