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Friday, 28 November 2025

पुतिन की सबसे घातक आर्मी यूनिट स्पेत्सनाज कितनी खतरनाक है... इसकी क्या खासियत है... कमांडो की ट्रेनिंग कैसे होती है

 

1. 🗡️ स्पत्सनाज (Spetsnaz)

स्पत्सनाज शब्द का अर्थ है "स्पेशल पर्पस फोर्सेज" (Special Purpose Forces) यह रूसी सशस्त्र बलों के तहत संचालित विशेष इकाइयों के लिए एक छत्र शब्द (umbrella term) है। इन्हें रूस की सबसे घातक और कुलीन (Elite) सेना इकाइयों में से एक माना जाता है।

यह कितनी खतरनाक है और इसकी क्या खासियत है?

स्पत्सनाज की ख़तरनाक क्षमताएँ और खासियतें इसे दुनिया की सबसे दुर्जेय स्पेशल फोर्सेज में से एक बनाती हैं:

  • गुप्त और प्रत्यक्ष कार्रवाई (Covert & Direct Action): ये दुश्मन की रेखाओं के पीछे गुप्त ऑपरेशन, तोड़फोड़ (sabotage), टोही मिशन (reconnaissance) और प्रमुख ठिकानों पर प्रत्यक्ष हमले करने में माहिर होते हैं।
  • अत्यधिक शारीरिक और मानसिक क्षमता: स्पत्सनाज कमांडो को असाधारण शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और विपरीत परिस्थितियों में शांत रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
  • हर माहौल में महारत: उन्हें आर्कटिक की भीषण ठंड से लेकर मध्य एशिया के रेगिस्तानों तक, किसी भी मौसम और भौगोलिक स्थिति में काम करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है।
  • विविध कौशल: ये क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट (CQC), स्नाइपर ऑपरेशंस, पैराशूटिंग, पानी के नीचे गोताखोरी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सहित कई तरह के सैन्य कौशल में प्रशिक्षित होते हैं।

कमांडो की ट्रेनिंग कैसे होती है?

स्पत्सनाज की ट्रेनिंग को दुनिया की सबसे कठोर और क्रूर ट्रेनिंग में से एक माना जाता है:

  • चयन प्रक्रिया: शुरुआती चयन प्रक्रिया अत्यंत कठिन होती है, जिसमें उम्मीदवारों को कई दिनों तक नींद और आराम के बिना, अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है।
  • "मरो या मारो" मानसिकता: ट्रेनिंग का उद्देश्य केवल शारीरिक शक्ति का निर्माण नहीं, बल्कि कमांडो में "मरो या मारो" वाली दृढ़ मानसिकता विकसित करना है।
  • "क्राव मागा" आधारित मुकाबला: ट्रेनिंग में क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट (CQC) पर ज़ोर दिया जाता है, अक्सर एक विशेष रूसी मार्शल आर्ट फॉर्म पर आधारित जो बहुत क्रूर और प्रभावी होता है।
  • मानसिक कठोरता: उन्हें भीषण दर्द, अत्यधिक थकान और तनाव के बीच भी सटीक निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
  • अंतिम परीक्षा - क्रिमसन बेरेट: ट्रेनिंग पूरी होने पर, सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को ही प्रतिष्ठित "क्रिमसन बेरेट" (Crimson Beret) पहनने की अनुमति मिलती है, जिसके लिए उन्हें एक अत्यंत कठिन अंतिम परीक्षण (जैसे कई विरोधियों के खिलाफ लगातार लड़ना) पास करना होता है।

2. 🛡️ अल्फा ग्रुप (FSB's Alpha Group)

अल्फा ग्रुप, जिसका औपचारिक नाम डायरेक्टोरेट "" (Directorate "A") है, रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) की एक विशेष आतंकवाद-विरोधी इकाई है। यह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और कुशल काउंटर-टेररिज्म यूनिट्स में से एक है।

यह कितनी घातक है और इस यूनिट की ट्रेनिंग कैसे होती है?

अल्फा ग्रुप की प्रमुख ताकतें और ट्रेनिंग इस प्रकार हैं:

  • घातकता: यह यूनिट मुख्य रूप से बंधक बचाव (Hostage Rescue) और आतंकवाद-विरोधी (Counter-Terrorism) अभियानों के लिए जानी जाती है। इनकी सटीकता, गति और सामरिक क्षमताएँ (tactical capabilities) इसे बेहद घातक बनाती हैं।
    • परिचालन गति: अल्फा ग्रुप के कमांडो जटिल और उच्च जोखिम वाले बंधक स्थितियों में सेकंडों के भीतर सटीक कार्रवाई करने में सक्षम होते हैं।
    • घातक सटीकता: क्लोज-क्वार्टर बैटल (CQB) में इनकी दक्षता ऐसी है कि ये कम से कम नागरिकों को नुकसान पहुँचाते हुए आतंकवादी खतरे को खत्म कर सकते हैं।
  • ट्रेनिंग:
    • शहरी युद्ध कौशल (Urban Warfare): इनकी ट्रेनिंग विशेष रूप से शहरी और सीमित स्थानों (जैसे इमारतें, बसें, ट्रेनें, विमान) में ऑपरेशन के लिए केंद्रित होती है।
    • साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग: दबाव में बिना किसी हिचकिचाहट के काम करने के लिए कठोर मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • स्नाइपर और तोड़फोड़: ये कमांडो अत्यधिक कुशल स्नाइपर भी होते हैं और संवेदनशील लक्ष्यों को ध्वस्त करने या उन्हें निष्क्रिय करने में भी सक्षम होते हैं।

आतंकवाद में इस यूनिट से भारत कोई फायदा उठा सकता है?

हाँ, भारत आतंकवाद विरोधी प्रयासों में अल्फा ग्रुप (या इसकी मूल संस्था FSB) से कई तरह से फायदा उठा सकता है:

  • संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास: भारत की नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) या अन्य आतंकवाद विरोधी इकाइयों को अल्फा ग्रुप के साथ संयुक्त अभ्यास (Joint Exercises) में भाग लेना चाहिए। इससे रूसी आतंकवाद विरोधी रणनीति, विशेष रूप से बंधक बचाव और सीमित स्थान में कार्रवाई के तरीकों को सीखने का मौका मिलेगा।
  • खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान: आतंकवाद और कट्टरता से जुड़ी खुफिया जानकारी और ट्रेंड्स को लेकर FSB के साथ नियमित और त्वरित जानकारी साझा करने से भारत को अपनी आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
  • उपकरण और तकनीक: रूस काउंटर-टेररिज्म के लिए विशेष उपकरण और हथियार बनाने में अग्रणी रहा है। भारत इनके विशेषज्ञ उपकरणों और प्रौद्योगिकियों को सीखने या हासिल करने पर विचार कर सकता है।

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