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Friday, 14 May 2021

क्यों न इन सभी पर देशवासियों के सामूहिक हत्या का मुक़द्दमा पंजीकृत हो?

 


जब देश ने वैक्सीन लगाने का निर्णय लिया, तब से बुद्धिजीवी वर्ग, गैर भाजपा राजनीतिक दल, NGOs, मीडिया में बोलना शुरू कर दिया कि डेटा नहीं हैं,फर्जी हैं और हम नहीं लगवाएंगे।

मीडिया ने भी भारतीय वैक्सीन के विरोध में एक आंदोलन छेड़ दिया।

इस दौरान के वैक्सीन विरोध में किस किस मीडिया में कितने न्यूज़ / लेख छापे, इसकी सूची पर गौर करे - 

इंडियन एक्सप्रेस -182, 
लोकसत्ता-172, 
नवभारत टाइम्स -236, 
hindustan times -123,
times of india -28, 
the wire -78, 
the print -59, 
scroll -122, 
newslundary -54,
alt news -78, 
the hindu -128

विरोधी राजनीतिक दलों के कितने नेताओं ने वैक्सीन के विरोध में बोला, इसकी सूची देखे।

कांग्रेस पार्टी -58, 
समाजवादी पार्टी-17, 
शिवसेना-27, 
DMK-13, 
CPM-12
TMC -12

265 बड़ी NGO के संस्थापक व कर्मचारियों ने 
वैक्सीन के विरोध में बोला है।

172 रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, जज और अन्य सरकारी अधिकारियों ने भी 
वैक्सीन के विरोध में बोला है।

342 कार्टून भी वैक्सीन के विरोध में कार्टूनिस्ट लोगों ने बनाये हैं। 

जिसके बाद देश की जनता के बड़े वर्ग में एक भ्रम पैदा हो गया कि वैक्सीन नहीं लगाना है।
और जब 15 जनवरी से टीकाकरण शुरू हुआ तो टीका केंद्र लोग इक्का दुक्का लोग ही टीका लगाने आते थे।
आप मुंबई में टीके के लिए आज लग रही लम्बी लाइनों को देखे तो सैकड़ों की संख्या में 60 वर्ष से अधिक के लोग भी दिख रहे है। कोई इनसे पूछे कि जनवरी-फ़रवरी और मार्च तक, जब भीड़ नहीं थी और टीके के डोज़ बेकार जा रहे थे, तब आपने टीके क्यों नहीं लगवाए तो ये उसी डर का हवाला देते है, जो इन अख़बारों, नेताओं आदि ने पैदा किया। 

इस डर से आज जहाँ हम 17 करोड़ को टीके लगा पाये है , वो कम से कम 34 करोड़ होता और करोना के दूसरे वेव में इतनी बुरी स्थिति हमारी नहीं होती।...

आज यही आंदोलनकारी लोग चुपचाप जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं।
क्यों नहीं इन पर जनता को गुमराह करने मुक़दमा दर्ज होना चाहिए?

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